हमराही

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Saturday, February 9, 2013

''कुछ मीठा हो जाए.............''





'कुछ मीठा हो जाए' का मन अगर कर आया है
क्यों? चाकलेट चाकलेट चारों ओर ही छाया है
गर्लफ्रेंड को देने को बेटा चाकलेट लाया है 
यह तो पूछो उसकी माँ ने नीवाला खाया है

माना यह इज़हारे प्यार है उससे तुम्हारा
पूछ लो अगर माँ को तो क्या बिगड़े तुम्हारा
ना चाहे कुछ तुमसे कभी, देगी केवल दुआएँ
बेटा ना कभी तुझे छुएँ जमाने की गर्म हवाएँ

करो एक वादा आज किसी ग़रीब का चूल्हा जलाओगे
खाना किसी भूखे को ,अपनी कमाई से खिलाओगे 
देगा जो आशीर्वाद तुम्हे वो जाएगा ना कभी खाली
एक दिन के लिए बन जाओ उसकी बगिया के माली 





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10 comments :

  1. चाक समय का चल रहा, किन्तु आलसी लेट |
    लसा-लसी का वक्त है, मिस कर जाता डेट |
    मिस कर जाता डेट, भेंट मिस से नहिं होती |
    कंधे से आखेट, रखे सिर रोती - धोती |
    बाकी हैं दिन पाँच, घूमती बेगम मयका |
    मन मयूर ले नाच, घूमता चाक समय का ||

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  2. किसी ग़रीब का चूल्हा जलाने से बढ़िया तो काम ही नहीं है ...
    ~सादर!!!

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  3. ललचाओ मत जी!
    शुगर के रोगी है हम!
    --
    सुन्दर चित्रमयी रचना!

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  4. करो एक वादा आज किसी ग़रीब का चूल्हा जलाओगे
    खाना किसी भूखे को ,अपनी कमाई से खिलाओगे
    मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता....!!

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  5. मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.

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