हमराही

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Thursday, July 25, 2013

मेरे ख़्वाब

ख्वाबों में आकर फिर से,
अरमान जगा गया कोई 
कभी अपना था अब किसी का है,
यह बता गया कोई

संग बैठे थे कभी गाये थे,
मिलकर प्रीत के गीत
सब सुंदर जग सुहाना था ,
जब तुम थे मेरे मीत

कभी आँचल में मेरे गुज़ारे थे 
हमने दिन और रात
आज भी है खुश्बू का अहसास,
तब मीठी थी हर बात

मेरे ख़्वाबों में जो आना तो 
ना जाने के लिए आना
वादा जो किया है 
बस उसे तुम निभाना 
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