हमराही

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Saturday, August 10, 2013

तेरे अशआर में मतला रहा हूँ [गजल]

1222         1222        122

मुहब्बत कर अभी पछता रहा हूँ

निरंतर दर्द पीता जा रहा हूँ ||

अदाओं पे तेरी मैं हूँ फ़िदा क्यों?

ये दिल नादान को समझा रहा हूँ 

मेरी तक़दीर में शायद नही तू

तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ ||

मेरी तनहाइयों के उन पलों में

अधूरी ख्वाहिशें बुनता रहा हूँ ||

गज़ल तुम हो बना हूँ काफिया मैं

तेरे अशआर में मतला रहा हूँ ||
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