हमराही

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Wednesday, October 30, 2013

तुम मेरे बुद्दु ,मैं हूँ तेरी पागल

जब बिन बोले तुम जाते हो
हमें याद बहुत तुम आते हो|

तुम मेरे बुद्दु ,मैं हूँ तेरी पागल
मैं बहती नदी तुम उड़ते बादल|

कैसे मिलन हो बोलो मेरा तेरा
तुम जब बरसो तो चलना हो मेरा|

जब मैं सूखुं तुम पानी से भर जाओ
पानी बरसाकर ,तर मोहे कर जाओ|

कैसे है हमने प्यार किया
चातक के जैसे तरसे जिया||
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