हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Wednesday, January 30, 2013

''...बापू राष्ट्रपिता हो तुम!..''


तुम सही मायने में नेताओं के 'बापू' निकले,जो पहले
से ही अपने सुपूतों के नक्शे कदम भाँप गये और जाते
जाते उन्हें तीन बंदर भेंट दे गये...........

तेरे ही देश में,
नेता के भेस में,
आज तेरे बंदर नज़र आते हैं
कहते हैं......... 













बुरा मत देखो
जो हो रहा उसे होने दो!

बुरा मत सुनो
कोई कुछ भी कहे कहने दो!

बुरा मत बोलो
क्योंकि तुम गुंगे और बहरे हो!
2.
इसलिए 

नहीं सुन पाते 
एक ग़रीब,आम आदमी की चीख,पुकार

नहीं देख पाते 
एक माँ की झुरीओं के पीछे का दर्द

नहीं बोल पाते
उनके अंतर्मन की वेदना,तड़प

3.
अगर यूँ कहें कि
अपने बारे में कुछ भी

बुरा मत देखो,
बुरा मत सुनो,
बुरा मत बोलो.

तो
तुम बापू के 'तीन बंदरों' को अपने में समेटे
असली नेता बन गये हो

Wednesday, January 23, 2013

''..सुभाष चंद्र बोस ..''





नेता जी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन 23 जनवरी,
 पर एक भावभीनी श्रद्धांजलि............


 कटक में पैदा हुआ,एक बांका वीर था,
 देश की खातिर जिया,ऐसा शूरवीर था/


वकील जानकीनाथ था पिता जिसका,
 सुश्री प्रभावती देवी जिसकी माई थी/
 
अँग्रेज़ों से अपना देश छुड़ाने को,
 जिसने ''आज़ाद हिंद फौज''बनाई थी/


 आज उसके जन्मदिन पर,
 हर माँ ले संकल्प ऐसा/
 बांझ रहना है बेहतर,
 सुपूत हो तो सुभाष जैसा/

Tuesday, January 15, 2013

''....दोस्त....''

सुबह छत्तपर जाकर बैठी तो मन में कुछ दोस्तों के बारे में विचार
उभरने लगे और एक रचना का रूप लेने लगे तुरंत नीचे आई और
कॉपी पैन उठाया और 5 मिनमें यह रचना तैयार कर डाली,यह रचना
तो 5 मिनट में बनी है, पर इसमें दिए अनुभव मेरी पूरी जिंदगी के हैं,
तो दोस्तो आप सबको स्मर्पित है यह रचना................................



दोस्त जब साँसों से साँसों की लड़ी जोड़ देते हैं
तो टूटे हुए आईनों को भी जोड़ देते हैं!


यह रिश्ता अपनों के खून बिन जुड़ जाता है,
इसीलिए तो सच्चा और पवित्र कहलाता है !


दोस्त तो सुख दुख में काम आते हैं,
रिश्तेदार तो नाम के रिश्ते निभाते हैं!


यह तो प्यार के विश्वास के बंदन हैं जनाब,
जिनका इस संसार में नहीं है कोई जवाब !


काश! कोई ऐसा ही दोस्त मुझे भी मिल पाता,
जो मेरा भी कोई  ख़ास अपना कहलाता !


हे भगवन.!हर एक की एक ऐसा ही दोस्त पाने की दुआ करो कबूल !
ताकि सबको हो विश्वास ,सच्चे दिल से माँगी दुआ नहीं जाती फ़िजूल!!

Wednesday, January 9, 2013

''...प्रीतम का इंतज़ार...''



ऐसे ठंडी दिल्ली बैठी ,

कोहरे की चादर ओढ़े
करती अपने प्रीतम,
सूरज का इंतज़ार!
जैसे ओढ़े लाल दुपट्टा,
नई नवेली दुल्हन 
को हो घूँघट के पट 
खुलने का इंतज़ार!
मिलना तो दोनों को ही,
अपने प्यारे प्रीतम से!
जो दे सके सकूं अपार,
सच करें सपना उनका,
उज्जवल करे उनका संसार!



प्रीतम के मिलते ही, 

लालिमा लिए चेहरा, 
दोनों का ऐसे खिल जाए!
जैसे भंवरे के स्पर्श से,
पुष्प को आकार मिल जाए!
ओज सा ऐसे चेहरे से दमके,
बगिया दोनों की खिल जाए,
कैसे करें दोनों इज़हार ?
दोनों को प्रीतम का इंतज़ार
बस केवल प्रीतम का इंतज़ार