हमराही

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Friday, January 10, 2014

कभी सोचा न था

कभी सोचा न था ...
कितनी कलरफुल थी 
मेरी दुनिया 
अब तुम्हारे बाद 
ब्लैक एंड वाइट होकर रह जाएगी 
कभी सोचा न था ...
अलमारी में पड़े 
लाल गुलाबी कपड़े 
मुंह चिड़ाएंगे और पूछेंगे 
मुझसे कई सवाल 
कभी सोचा न था ..
आइने के सामने आज 
खड़े होने में डर लगेगा
क्योंकि 
खो दूंगी वो अक्स 
जो मुझे निहारा करता था 
कभी सोचा न था ... 
बड़ी बेपरवाह थी जिन्दगी 
बस तुम्हे बताकर 
दुनिया की परवाह किये बिना 
स्वछन्द घूमा करती थी 
अब घर से बाहर कदम रखने से पहले 
मेरा ही ज़मीर मुझसे सवाल पूछेगा 
कभी सोचा न था.....
मैं भी एक दिन 
रंगीन उड़ती तितली की तरह 
अपने पर खो दूंगीं
कटी पतंग सी हो जाऊँगी 
कभी सोचा न था ..... 
फैसले तो पहले भी 
खुद लिया करती थी 
पर उन पर 
मोहर लगाने वाला ही नहीं रहेगा
कभी सोचा न था... 
कभी कोई फॉर्म भरते हुए 
मेरी कलम 
विवाहिता के कालम पर 
अटक जाएगी 
कभी सोचा न था .....
सचमुच कभी सोचा ही न था ...
                ........सरिता 
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