हमराही

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Thursday, April 24, 2014

कह मुकरियां 31.से 40.

31.
पर्दूषण उसको ना भाये 
तन लागे शीतल कर जाये 
कहते सभी उसे विदेसी 
क्या सखि साजन ?
ना सखि ऐ सी 
32.
दुनिया में वो सबसे न्यारा 
मैंने सब कुछ उस पर वारा 
उसके संग है मेरी आन
क्या सखि साजन ?
न हिन्दुस्तान 
33.
उसके बिन नीरस है जीना 
हर रिश्ते का वही नगीना 
ह्रदय में बसता बनकर यार 
क्या सखि साजन ?
ना री प्यार 
34.
उसके बिन रिश्ता है झूठा 
ढोंग जरा ना लगे अनूठा
कह पागल या योगी रमता 
क्या सखि साजन ?
ना सखि ममता 
35.
उसे निहारूं दिन से रात 
करता सदा ही सच्ची बात 
उसको जीवन सारा अर्पण 
क्या सखि साजन ?
ना री दर्पण 
36.
गोद में मुझको जब बिठाये 
सपनों का संसार दिखाये
दूर रह दीदार को तरसी 
क्या सखि साजन ?
ना री कुर्सी 
37.
बैठे बैठे जगत घुमाये
हर दुविधा को दूर हटाये
दिन भर करती उसका जाप 
क्या सखि ईश्वर ?
ना लैपटाप 
38.
सांस का लेखा उसके संग 
जीवन में न उस बिन रंग  
महकाये मेरा हर कण कण 
क्या सखि साजन ?
ना सखि धड़कन 
39.
सुबह सवेरे पास बुलाये 
दुनिया के सब राज बताये 
उसका करती मैं इंतज़ार 
क्या सखि साजन ?
नहीं अखबार
40.
मीठी लगती उसकी बात 
साथ वो चिपके दिन औ रात 
सदा बोल वो बोले सच्चा 
क्यों सखि साजन ?
ना सखि बच्चा 

क्रमशः.....
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