हमराही

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Thursday, May 22, 2014

चौपई छंद

ओबीओ ’चित्र से काव्य तक’ छंदोत्सव" 




लोकतंत्र का आया पर्व | करते सारे इस पर गर्व ||
आये नेता वादों साथ | छोड़ेंगे ना अब ये हाथ ||

राजनीति का चौसर खेल | सब फेंके पासा बेमेल ||
नेता सारे बोलें झूठ | पाँच बरस तक जायें रूठ ||

पत्ते फूल हुए बेजान | संग दराती तीर कमान ||
उस नेता को सौंप कमान | रखता जो जनता का ध्यान ||

उगता सूर्य हुआ है अस्त | हाथी घड़ी साइकल पस्त ||
छूटे पीछे चारों  हस्त | कमल खिले हैं छः छः मस्त || 

भारत माँ का एक नरेन्द्र | राजनीति का बना नगेन्द्र ||
मिला राजपद ज्यों हो इंद्र | चमका बन पूनम का चंद्र ||

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