हमराही

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Thursday, September 17, 2015

पर्यूषण पर्व [दोहे]

पर्यूषण दोहे 
पर्यूषण का पर्व है ,रोज भजो नवकार |
अंतरमन को शुद्ध कर ,होंगे दूर विकार ||

महामंत्र नवकार है ,सुनना सुबह शाम |
सबसे अच्छे पर्व का, पर्यूषण है नाम ||

आठ दिनों तक जैन सब , करते हैं उपवास |
देता है शुभ प्रेरणा ,सदा भाद्रपद मास ||

'अटाई' के पर्व में ,करें नित्य उपवास |
पूजा औ आराधना , नित्य कर्म हैं ख़ास ||

हरना सबकी पीर को, तुम नाथों के नाथ |
मनोकामना पूर्ण हो ,सब की पार्श्वनाथ ||

अपराधी को माफ़ कर ,बनना सदा उदार |  
दंड,वैर सब छोड़कर , मन का करो सुधार ||


क्षमापना का दिवस है , करो वैर का अन्त |
दिल को रखना साफ़ तुम,कह गए साधु संत ||

आत्मा अपनी शुद्ध कर, छोड़ो द्वेष,असत्य |
सर्व धर्म समभाव का ,कथन तभी हो सत्य ||

संयम चिंतन नित्य कर ,औ' निर्जल उपवास 
तन मन अपना शुद्ध कर ,आया है दिन खास ||

जीयो जीने दो सदा ,अगर मनुज हो आप 
अहिंसा है परम धरम , हिंसा केवल पाप ||

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